बजबजाती नालियां, सड़कों-गलियों के किनारे कूड़े के पहाड़, फुटपाथों पर गैरकानूनी कब्जे, अंधेरे में डूबी गलियां और रास्ते, राहगीरों के सब्र का इम्तिहान लेते सड़कों पर गड्ढे, शहर के अधिकतर इलाकों में पीने के पानी के लाले, मामूली बारिश में तालाब बनी सड़कें लाइलाज मर्ज बन गई हैं। इन मर्ज की सरकारी दवाई बेअसर है। लोग परेशान हैं।
तालानगरी समस्याओं की नगरी बन गई है। तुर्रा यह कि इसका दर्जा स्मार्ट सिटी का है। अगर शहर को देख लें तो स्मार्ट का तमगा व्यंग्य की तरह लगता है। बजबजाती नालियां, सड़कों-गलियों के किनारे कूड़े के पहाड़, फुटपाथों पर गैरकानूनी कब्जे, अंधेरे में डूबी गलियां और रास्ते, राहगीरों के सब्र का इम्तिहान लेते सड़कों पर गड्ढे, शहर के अधिकतर इलाकों में पीने के पानी के लाले, मामूली बारिश में तालाब बनी सड़कें लाइलाज मर्ज बन गई हैं। इन मर्ज की सरकारी दवाई बेअसर है। लोग परेशान हैं।
स्मार्ट सिटी के अधूरे पड़े कार्य दे रहे दर्द
छह साल पहले वर्ष 2017-18 में स्मार्ट सिटी परियोजना मंजूर हुई थी। जिसके तहत 42 विकास और निर्माण कार्य किए जाना तय हुआ। इन निर्माण कार्यों के समय से पूरा न होने के कारण शहरवासियों की जुबां पर बस एक ही सवाल है कि अपना शहर कब स्मार्ट बनेगा। शहर में उखड़ी सड़कें, टूटे डिवाइडर, अस्त-व्यस्त चौराहे स्मार्ट सिटी परियोजना को मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं।
- हैबीटेट सेंटर- स्मार्ट सिटी मुख्यालय, आई ट्रिपल सी मुख्यालय, घूमने फिरने का स्थान, स्टार्टअप के लिए ऑफिस आदि बनकर तैयार हैं विभागीय काम के लिए पटल भी बना लिए गए हैं। उद्घाटन के बाद अभी तक यह संचालित नहीं हो सका है।
- अचल सरोवर- शहर के प्रमुख धार्मिक स्थल अचल सरोवर का नवनिर्वाण एवं सौंदर्यीकरण का कार्य जुलाई 2022 तक पूरा होना था, मगर अभी भी काम जारी है।
- 14 चौराहों का सुंदरीकरण – शहर के प्रमुख चौराहों में शामिल सारसौल चौराहा, क्वार्सी, अब्दुल्ला चौराहा, रामलीला मैदान, अग्रसेन चौक, मसूदाबाद, गांधीपार्क, मधेपुरा, दुबे का पड़ाव, सब्जी मंडी, जामा मस्जिद, शमशाद मार्केट, मदारगेट, तहसील तिराहा, कबरकुत्ता, तस्वीर महल चौराहा का सौंदर्यीकरण 41.72 करोड़ रुपये से कराया जा रहा है, यह काम अक्तूबर 2022 में पूरा होना था, अभी तक अधूरा है।
- स्मार्ट रोड – एएमयू सर्किल से घंटाघर तक स्मार्ट रोड 16.85 करोड़ रुपये से जून 2022 में बनकर तैयार होनी थी, अभी फिनिशिंग का काम बाकी।
- सड़क निर्माण – 95.86 करोड़ रुपये से तस्वीर महल, घंटाघर, सेंटर प्वाइंट, जेल रोड, शमशाद रोड, दुबे पड़ाव, मैरिस रोड आदि इलाकों की प्रमुख सड़कों का निर्माण दिसंबर 2022 तक पूरा होना था। अभी तक काम अधूरा है।
- चौराहों का सौंदर्यीकरण – 54.26 करोड़ रुपये की लागत से सारसौल, क्वार्सी, एटा चुंगी, सासनी गेट चौराहे का सौंदर्यीकरण दिसंबर 2022 तक पूरा होना था, अभी भी काम अधूरा है।
- नकवी पार्क -17.53 करोड़ रुपये की लागत से शहर के सबसे बड़े पार्क का सौंदर्यीकरण अक्तूबर 2022 तक पूरा होना था, अभी भी काम शेष।
- बारहद्वारी कांप्लेक्स – 49.92 करोड़ रुपये की लागत से इसका निर्माण अप्रैल तक पूरा होना था, मगर अभी भी काम अधूरा है।
- स्पोटर्स कांप्लेक्स – नौरंगीलाल राजकीय इंटर कॉलेज में इसका निर्माण जून 2022 से अक्तूबर 2023 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया था, मगर अभी काम अधूरा है।
- जलनिकासी व्यवस्था – 63 करोड़ की लागत से यह काम दिसंबर 2023 में पूरा होना प्रस्तावित था।
- फसाड बाजार:- रसलगंज में एकरूपता वाला बाजार 25.31 करोड़ से जुलाई 2022 में पूरा होना था, मगर अभी काम जारी।
- कूड़ा प्रबंधन – 100 करोड़ का यह प्रोजेक्ट जुलाई 2022 में शुरू हुआ, मगर अभी पूरे शहर में लागू नहीं है।
सफाई पर उठ रहे सवाल
शहर में नाले एवं नालियों की साफ- सफाई समय से न होने से हल्की सी बारिश में ही कई इलाके ताल-तलैया बन जाते हैं। नागरिकों का आरोप है कि कूड़ा हटा लिया जाता है लेकिन नीचे जैसे का तैसा छोड़ दिया जाता है। किस तरह सफाई की गई थी, यह बारिश होने के बाद उफनकर बह रहे नालों को देखकर समझा जा सकता है। नालों की पुलिया के नीचे भी कभी सफाई नहीं होती है। जिससे बारिश के दिनों में हर साल जलभराव होता है।
ट्रैफिक इंतजाम भी बेकाम
महानगर के सभी प्रमुख मार्गों, बाजारों पर दिन भर जाम रहता है। बाजारों में पार्किंग न होने से वाहनों के इधर-उधर खड़े रहने से हर वक्त जाम लगा रहता है। अधिकांश चौराहों पर आधुनिक ट्रैफिक सिग्नल लगे होने के बाद भी यातायात का संचालन ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के हाथ के इशारे से हो रहा है। भले ही जाम से निजात मिले या न मिले, लेकिन यातायात नियम को तोड़ने पर तत्काल वाहन चालकों का चालान जरूर कट जाता है। सुबह से लेकर शाम तक शहर के रामघाट रोड, दुबे का पड़ाव से एटा चुंगी, आगरा रोड, गांधीपार्क बस स्टैंड से रसलगंज चौराहे तक जाम लगा रहता है।
बिजली व्यवस्था भी बेपटरी
शहर में खुले ट्रांसफार्मर, टूटे तार, बिजली के खंभों में आए दिन फाल्ट होते रहते हैं। उमस में बिजली खपत बढ़ी है। ओवरलोडिंग के चलते बिजली के ट्रांसफार्मर के फुंक जाने एवं ट्रिपिंग की समस्या बनी हुई है। बारिश के दिनों में फाल्ट को सही करना आसान नहीं होता है। ऐसे में होने वाली बिजली कटौती के कारण लोग गर्मी और उमस से लोग खासे परेशान हैं। कई -कई घंटे तक फाल्ट के चलते बिजली आपूर्ति नहीं होती है। इससे निपटने के लिए बिजली विभाग के पास कोई इंतजाम नही हैं।
स्मार्ट सिटी परियोजना में प्रस्तावित कार्यों को तय समय सीमा में पूरा कराए जाने के लिए निर्माणदायी संस्थाओं को निर्देशित किया गया है, ताकि नागरिकों को असुविधा का सामना न करना पड़े। बारिश से पूर्व सभी नाले एवं नालियों की सफाई के साथ ही कूड़े के ढ़ेरों को हटवाने, जलभराव वाले इलाकों में समस्या के निदान के लिए नगर निगम समेत संबंधित विभागों को कहा गया है। – इंद्र विक्रम सिंह, जिलाधिकारी