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किसान सेना का घेराव: बिजली विभाग के खिलाफ उठी आवाज़

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अकराबाद: किसान सेना ने बिजली विभाग की लापरवाहियों के खिलाफ आवाज़ उठाते हुए लाल डिग्गी बिजली घर का घेराव किया। इस मौके पर महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष तारावती के नेतृत्व में एक ज्ञापन सौंपा गया। घेराव का मुख्य कारण अकराबाद क्षेत्र के गांव रायपुर मनीपुर में बिजली विभाग द्वारा 11 हजार वोल्ट की लाइन का डालना बताया गया, जिससे भविष्य में जनमानस की जान को खतरा उत्पन्न हो सकता है।

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किसान नेताओं ने बताया कि बिजली विभाग की लापरवाहियों के चलते किसान अक्सर अपनी जान गंवाते हैं। पूर्व राष्ट्रीय संगठन प्रभारी मोहम्मद शमी ने चेतावनी दी कि यदि एक हफ्ते के भीतर समस्या का समाधान नहीं किया गया और लाइन को गांव के बीच से नहीं हटाया गया, तो किसान सेना बिजली विभाग का घेराव करेगी।

इस घेराव में डॉक्टर अकील अहमद, प्रदेश अध्यक्ष चिकित्सा प्रकोष्ठ, ने कहा कि रियाज कॉलोनी पर एक मस्जिद के कनेक्शन को लेकर जिला सचिव रिहान खान कई बार बिजली विभाग के चक्कर काट चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बिजली विभाग रोज नए बहाने बनाकर लोगों को टालता है। यदि कनेक्शन नहीं दिया गया, तो वह पूरी क्षेत्र की जनता के साथ मिलकर बिजली विभाग का घेराव करने के लिए मजबूर होंगे।

किसान सेना के मंडल अध्यक्ष जितनेद्र यादव ने कहा कि बिजली विभाग तुरंत कनेक्शन काटने के लिए सक्रिय हो जाता है, लेकिन अन्य कामों के लिए उनकी अनसुनी होती है। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाना चाहिए।

राष्ट्रीय मंत्री अफरोज खान ने कहा कि अब भेदभावपूर्ण व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी हुई, तो संगठन सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होगा और इस स्थिति का जिम्मेदार शासन-प्रशासन होगा।

इस मौके पर मौ इमरान, प्रदेश उपाध्यक्ष चिकित्सा प्रकोष्ठ, रिहान खान, जिला सचिव, रहवर शेरवानी, शहर अध्यक्ष, ग्राम प्रधान रायपुर मनीपुर, डॉ. अजमल ज़हीर, मनोज यादव, जिला सचिव, अनवर, जिला उपाध्यक्ष, मौलाना अफरोज, प्रदेश मंत्री चिकित्सा प्रकोष्ठ और अन्य सैकड़ों कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।

किसान सेना का यह घेराव बिजली विभाग की लापरवाहियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यह दर्शाता है कि अब किसान अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं। यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो यह आंदोलन और भी तेज हो सकता है, जिससे किसान और अधिक संगठित होकर अपनी हक की लड़ाई लड़ने के लिए सड़कों पर उतर सकते हैं।

इस प्रकार, किसान सेना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब बात उनकी जान और सुरक्षा की होती है, तो वे चुप नहीं रह सकते। उनकी एकजुटता और संघर्ष का ये नजारा यह दर्शाता है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार किसानों की समस्याओं को गंभीरता से ले।

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