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दरगाह बन्नेर शरीफ के सज्जादा ननशीन की नव वर्ष पर अपील: प्रेम और भाईचारे का संदेश

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जिला बुलंदशहर स्थित ऐतिहासिक दरगाह बन्नेर शरीफ के सज्जादा नशीन, मुहिब्बुर्रहमान साहब ने नव वर्ष के अवसर पर अपने संदेश में प्रेम, भाईचारे और एकता का महत्व बताया। उन्होंने सभी देशवासियों को नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत की खूबसूरती इसकी गंगा-जमुनी तहज़ीब में है, जो हमें विभिन्नता में एकता का पाठ पढ़ाती है। उन्होंने इस अवसर पर लोगों से आपसी मतभेद भुलाकर शांति और सौहार्द के साथ एकजुट होने की अपील की।

भाईचारे और एकता का महत्व

मुहिब्बुर्रहमान साहब ने अपने संदेश में इस बात पर ज़ोर दिया कि समाज में स्थायी शांति तभी संभव है जब सभी धर्म और समुदाय एक-दूसरे के प्रति सम्मान और आदर का भाव रखें। उन्होंने कहा, “नया वर्ष आत्मचिंतन और आत्मसुधार का अवसर देता है। हमें अपने भीतर झांककर यह देखना चाहिए कि हम समाज में कितनी शांति, प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा दे रहे हैं।”

उन्होंने विशेष रूप से इस बात को रेखांकित किया कि दरगाह बन्नेर शरीफ का संदेश हमेशा से ही मोहब्बत, करुणा और मानवता की सेवा पर आधारित रहा है। यहाँ हर वर्ष हज़ारों श्रद्धालु आते हैं, जो इस संदेश को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा लेकर लौटते हैं।

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मुरीदों का योगदान

दरगाह बन्नेर शरीफ के मुरीद (श्रद्धालु) भी सज्जादा नशीन के इस संदेश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दरगाह के मुरीद केवल भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी इस्लाम के असली पैगाम – मोहब्बत और भाईचारे – को प्रचारित करते हैं। मुरीदों का मानना है कि दरगाह का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में शांति और सौहार्द स्थापित करने का केंद्र भी है।

मुहिब्बुर्रहमान साहब ने विशेष रूप से मुरीदों से अपील की कि वे नए साल में अपनी कोशिशें दोगुनी करें और दरगाह के पैगाम को हर वर्ग और हर क्षेत्र में पहुंचाएं। उन्होंने कहा, “मुरीद दरगाह के संदेशवाहक हैं। वे जब तक समाज में प्रेम और करुणा का प्रसार नहीं करेंगे, तब तक हमारी कोशिशें अधूरी रहेंगी।”

धार्मिक विविधता: हमारी ताकत

सज्जादा नशीन ने अपने संदेश में कहा कि भारत में धार्मिक विविधता हमारी ताकत है। “यहाँ हर धर्म का सम्मान किया जाता है। यह विविधता हमें सिखाती है कि हर व्यक्ति की परंपराएं, मान्यताएं और रीति-रिवाज महत्वपूर्ण हैं। हमें इस विविधता को कमजोरी के बजाय अपनी ताकत मानना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि दरगाह बन्नेर शरीफ एक ऐसा स्थान है, जहां हर जाति, धर्म और वर्ग के लोग बिना किसी भेदभाव के आते हैं और मानवता की सेवा का संकल्प लेते हैं।

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समाज सेवा की प्रेरणा

मुहिब्बुर्रहमान साहब ने विशेष रूप से मानवता की सेवा पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मानवता की सेवा ही सच्चा धर्म है। “हमारी दरगाह हमेशा से गरीबों, जरूरतमंदों और वंचितों की सहायता के लिए प्रयासरत रही है। यह संदेश हमें सिखाता है कि हम अपने जीवन का उद्देश्य मानवता की सेवा को बनाएं।”

उन्होंने यह भी बताया कि दरगाह ने हाल ही में अपने प्रयासों के तहत मदरसे के छात्रों के लिए मुफ्त में शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराई है, जिससे जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाई में मदद मिले।

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शांति और सौहार्द का संदेश

मुहिब्बुर्रहमान साहब के इस संदेश ने समाज के हर वर्ग को प्रभावित किया। उनके विचारों ने लोगों को यह समझाया कि आपसी सहयोग और सद्भाव से ही एक खुशहाल समाज का निर्माण हो सकता है।

मुरीदों ने भी इस अवसर पर अपनी प्रतिबद्धता जताई और कहा कि वे सज्जादा नशीन के संदेश को जीवन में अपनाएंगे और इसे दूसरों तक पहुंचाएंगे।

समाज में सकारात्मक बदलाव की प्रेरणा

मुहिब्बुर्रहमान साहब का नव वर्ष पर यह संदेश केवल एक अपील नहीं है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक प्रयास है। उनका यह संदेश हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से समाज को कैसे बेहतर बना सकते हैं।

निष्कर्ष

दरगाह बन्नेर शरीफ के सज्जादा नशीन मुहिब्बुर्रहमान साहब के इस प्रेरणादायक संदेश ने लोगों को आपसी मतभेद भुलाकर नए साल का स्वागत करने और समाज में शांति और सौहार्द स्थापित करने की प्रेरणा दी। उनका यह विचार कि मानवता की सेवा ही सच्चा धर्म है, हमें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाता है। दरगाह के मुरीद और अनुयायी उनके इस संदेश को समाज में फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

दरगाह बन्नेर शरीफ के इस पहल ने साबित कर दिया कि धार्मिक स्थलों की भूमिका केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज को जोड़ने और दिशा देने का माध्यम भी है।

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