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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले चिंताजनक: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने की मानवाधिकारों की रक्षा की मांग

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फिरोजाबाद, 7 दिसंबर 2024:

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (सूफी संत मलंग प्रकोष्ठ) के राष्ट्रीय संयोजक कल्लू अंसारी ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों को मानवता के खिलाफ अपराध करार देते हुए गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मंदिरों का विध्वंस, महिलाओं पर हिंसा और सामाजिक असहिष्णुता की घटनाएं न केवल बांग्लादेश के लिए शर्मनाक हैं, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है।

मानवाधिकार सप्ताह की घोषणा

मंच ने 10 से 16 दिसंबर तक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सप्ताह मनाने का निर्णय लिया है। इस दौरान देशभर में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। मंच ने तीन प्रमुख मांगें रखीं:

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1. अल्पसंख्यकों की सुरक्षा: भारत सरकार बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाकर हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा सुनिश्चित करे।

2. अंतरराष्ट्रीय जागरूकता: बांग्लादेश में हो रहे मानवाधिकार हनन को वैश्विक मंचों पर उठाया जाए।

3. पीड़ितों के लिए राहत: प्रभावित हिंदू परिवारों को मानवीय सहायता प्रदान की जाए।

सम्भल हिंसा के लिए सपा और कांग्रेस जिम्मेदार

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने सम्भल में हुई हिंसा के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। मंच का आरोप है कि इन दलों ने अपनी चुनावी हार की खीज उतारने के लिए लोगों को भड़काया और दंगे की साजिश रचकर शहर में हिंसा कराई।

राष्ट्रीय संयोजक शाहिद अख्तर ने लोगों से शांति बनाए रखने और संविधान व न्यायपालिका में विश्वास रखने की अपील की।

अजमेर दरगाह विवाद पर संयम की अपील

राष्ट्रीय संयोजिका अंजुम अंसारी ने अजमेर दरगाह विवाद पर लोगों से सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने दरगाह को भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक बताते हुए कहा कि इसकी पवित्रता को भंग करने वाले तत्वों पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

शांति और धार्मिक सौहार्द के लिए पहल

मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. शालिनी अली ने धार्मिक स्थलों की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि अजमेर शरीफ जैसे पवित्र स्थल समाज में एकता और भाईचारे का प्रतीक हैं। उन्होंने धार्मिक कट्टरता के खिलाफ समाज में जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई।

कट्टरता के खिलाफ इंसानियत का संदेश

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने नफरत का जवाब मोहब्बत से और कट्टरता का उत्तर सहिष्णुता से देने की अपील की। मंच ने कहा कि “समाजवाद” और “तथाकथित सेक्युलरिज्म” के नाम पर विभाजनकारी ताकतों के षड्यंत्रों को नाकाम करना देश की एकता और शांति के लिए जरूरी है।

“विविधता में एकता” की पहचान को मजबूत बनाने का आह्वान

मंच ने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे एकजुट होकर ऐसा वातावरण बनाएं जहां हर व्यक्ति सम्मान और भयमुक्त जीवन जी सके। मंच का मानना है कि शिक्षा, जागरूकता, संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में सौहार्द की स्थापना की जा सकती है।

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