
आगरा, 11 मार्च:
भारत की पावन धरती पर अनेकता में एकता की मिसाल कायम करते हुए, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक सूफी संत मलंग कल्लू अंसारी ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस बार होली और जुमा का त्यौहार एक ही दिन, यानी 14 मार्च को मनाया जाएगा। ऐसे में जुमे के समय को बढ़ाने का सुझाव भी दिया गया है, ताकि दोनों त्योहारों को शांतिपूर्ण और भाईचारे के माहौल में मनाया जा सके।
भारतीय परंपरा में मिलजुल कर त्योहार मनाने की रीत
कल्लू अंसारी ने कहा कि भारत में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच मेल-मिलाप और सौहार्द की परंपरा सदियों से चली आ रही है। हमारे पूर्वजों ने हमेशा एक-दूसरे के त्योहारों में शामिल होकर आपसी भाईचारे का संदेश दिया है। चाहे वह होली का रंग हो या ईद की मिठास, भारतीय समाज ने हमेशा हर पर्व को मिलकर मनाया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि होली पर रंग खेलने से इस्लाम से निष्कासन का कोई सवाल नहीं उठता। यह सिर्फ अफवाहें और भ्रम फैलाने वाली बाते हैं। हमारे समाज में किसी भी पर्व या त्योहार को मनाने से धर्म पर आंच नहीं आती।
एक ही जड़ों से जुड़े भारतीय
कल्लू अंसारी ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि जन्म से लेकर शादी और मृत्यु तक, भारतीयों की रीत-रिवाज लगभग समान हैं, चाहे वे सनातनी हिंदू हों या मुस्लिम। इसका कारण यह है कि हमारे पूर्वज एक थे, हमारी जड़ें एक थीं, और हमारा डीएनए एक है। यह एकता और साझी विरासत ही हमारी पहचान है।
उन्होंने कहा कि जो शैतानी ताक़तें हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ने की कोशिश करती हैं, उनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। हमारे समाज में कुछ लोग जान-बूझकर भाईचारे में दरार डालने की कोशिश करते हैं। ऐसे में हमें उनके षड्यंत्रों से बचकर, अपने साझे संस्कार और तहज़ीब को बरकरार रखना होगा।
गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल
भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हम श्री राम कहें या रहीम, बजरंगबली कहें या हज़रत अली, मां सीता कहें या मां मरियम, मथुरा कहें या मदीना, काशी कहें या काबा शरीफ, ये सभी पवित्र और पाक हैं। ये धार्मिक स्थल और प्रतीक हमारी आस्था और एकता के केंद्र हैं।
150 करोड़ भारतीयों का जय संकल्प
कल्लू अंसारी ने यह भी कहा कि 150 करोड़ भारतीयों को एकजुट होकर अपने पवित्रता और भाईचारे के संगम को कायम रखना चाहिए। चाहे कोई भी ताकत कोशिश कर ले, हमारी एकता और सद्भावना को तोड़ नहीं सकती।
उन्होंने अपील की कि सनातनी हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध और ईसाई समुदाय के सभी लोग मिलकर त्योहार मनाएं। यह हमारी परंपरा और सभ्यता का प्रतीक है। हमें अपनी गंगा-जमुनी तहज़ीब को जिंदा रखना है और एकता के संदेश को पूरे देश में फैलाना है।
सद्भावना का संदेश
अंसारी ने अंत में कहा कि होली और जुमा का संगम भारतीय एकता की सबसे बड़ी मिसाल है। यह त्योहार सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि दिलों के मिलने का भी प्रतीक है। हमें मिलकर यह साबित करना है कि कोई भी ताकत हमारे आपसी सौहार्द को कमजोर नहीं कर सकती।
आओ, इस होली पर एक नई शुरुआत करें और भारतीय एकता का संदेश पूरे देश में फैलाएं।