कार्यक्रम में प्रोजेक्ट उम्मीद के प्रतिनिधियों ने वर्तमान समय में हो रहे विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों पर चर्चा की। इनमें शामिल थे:
लोन एप के माध्यम से ठगी: अपराधी लोन एप का उपयोग कर फोन का एक्सेस प्राप्त करते हैं और फिर धनराशि की मांग करते हैं।
परिचित बनकर खातों से ठगी: अपराधी परिचित होने का नाटक कर पीड़ित के बैंक खाते में पैसे डालने का झांसा देते हैं।
लॉटरी और उपहार का लालच: नकली लॉटरी या उपहार का प्रलोभन देकर ऑनलाइन ठगी की जाती है।
सिम और खाते को अपडेट करने का बहाना: बैंक खातों और एटीएम की जानकारी लेकर धोखाधड़ी की जाती है।
गूगल से कस्टमर केयर नंबर सर्च करना: फर्जी कस्टमर केयर नंबर के जरिए धन हड़पने की घटनाएं।
सोशल मीडिया ब्लैकमेलिंग: फेसबुक और व्हाट्सएप पर दोस्ती कर वीडियो कॉल के जरिए अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया जाता है।
ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर ठगी: OLX और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर सामान खरीदने-बेचने के बहाने धोखा।
साइबर अपराध से बचाव के उपाय:
विशेषज्ञों ने साइबर अपराध से बचने के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण सुझाव दिए:
1. किसी अनजान नंबर से आई कॉल पर तुरंत विश्वास न करें। यदि कॉलर परिचित होने का दावा करता है, तो पहले उससे खुद बात करें।
2. सिम या बैंक खाते को अपडेट करने के नाम पर आने वाली कॉल्स को अनदेखा करें।
3. कस्टमर केयर नंबर केवल कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट से प्राप्त करें।
4. AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के जरिए आवाज और चेहरे की नकल कर ठगी की जा सकती है। ऐसे में संबंधित व्यक्ति से पुष्टि करना जरूरी है।
5. नकली पुलिस अधिकारी बनकर “डिजिटल अरेस्ट” का डर दिखाने वाली कॉल्स को नजरअंदाज करें।
अगर कोई साइबर ठगी का शिकार होता है, तो तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें। इसके अलावा, www.cybercrime.gov.in पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें।
प्रत्याशियों ने साझा किए अनुभव:
सेमिनार के दौरान उपस्थित विशेषज्ञों ने कुछ वास्तविक घटनाओं के उदाहरण साझा किए, जिनमें सतर्कता से बड़ी ठगी से बचा जा सका। उन्होंने बताया कि कैसे गूगल पर फर्जी कस्टमर केयर नंबर सर्च करने और अनजान कॉल्स पर भरोसा करने से लोग फंस जाते हैं।
सेमिनार में मुख्य अतिथि और प्रतिभागी:
ब्लैकडेल पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल आसमी नौशाद, शिक्षक रियाज अली और मो. आदिल ने सेमिनार में विशेष रूप से भाग लिया।
प्रोजेक्ट उम्मीद वेलफेयर फाउंडेशन की ओर से आदिल जवाहर, एडवोकेट नदीम अंजुम, और आसिफ ने सेमिनार का संचालन किया।
साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं और डिजिटल जागरूकता आज की जरूरत बन गई है। प्रोजेक्ट उम्मीद द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम छात्रों और शिक्षकों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध हुआ। इसमें न केवल उन्हें साइबर अपराधों के प्रकार बताए गए, बल्कि उनसे बचने के व्यावहारिक उपाय भी समझाए गए।
छात्रों और शिक्षकों की प्रतिक्रिया:
कार्यक्रम के अंत में, छात्रों और शिक्षकों ने साइबर अपराध से संबंधित अपने सवाल पूछे। विशेषज्ञों ने हर सवाल का विस्तार से उत्तर दिया। प्रतिभागियों ने सेमिनार की सराहना की और इसे अन्य स्कूलों में भी आयोजित करने की मांग की।
निष्कर्ष:
प्रोजेक्ट उम्मीद वेलफेयर फाउंडेशन का यह प्रयास साइबर अपराध के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सेमिनार के माध्यम से उपस्थित प्रतिभागी डिजिटल सुरक्षा के महत्व को बेहतर तरीके से समझ सके। कार्यक्रम ने सभी को यह संदेश दिया कि सतर्कता और जागरूकता के माध्यम से साइबर अपराधों से बचा जा सकता है।