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डॉ. एम. वसी बेग “बिलाल” अलीग को मंडल खादी प्रदर्शनी में सम्मानित किया गया

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अलीगढ़ में आयोजित मंडल खादी प्रदर्शनी के दौरान राष्ट्रीय मुशायरा सह कवि सम्मेलन में डॉ. मोहम्मद वसी बेग “बिलाल” अलीग को उनकी साहित्यिक और शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। यह समारोह खादी और उर्दू साहित्य की समृद्ध परंपराओं के संगम का प्रतीक था।

डॉ. वसी बेग “बिलाल” को उर्दू साहित्य में उनके योगदान, कविताओं, लेखों, और शिक्षा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया। डॉ. बेग एक युवा कवि, लेखक, स्तंभकार और शिक्षाविद् हैं, जो वर्तमान में एसीएन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट स्टडीज, अलीगढ़ के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। साथ ही, वे “द एलिग्स फाउंडेशन” के प्रबंध सचिव के रूप में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सम्मान समारोह

सम्मान समारोह मंडल खादी प्रदर्शनी के विशेष आकर्षणों में से एक था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जावेद वारसी साहब थे, जबकि अध्यक्षता श्री बाबर इलियास ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. मुजीब शेज़र और डॉ. ओवैस जमाल शमशी मौजूद थे, जबकि विशेष अतिथि के रूप में डॉ. इरफ़ान जमाली ने शिरकत की। कार्यक्रम के संयोजक श्री अतीक थे और संचालन श्री मुशर्रफ मेहज़र ने किया।

कार्यक्रम के दौरान खादी मंडल प्रदर्शनी की अध्यक्ष सुश्री साजिदा बेगम ने सभी कवियों और पुरस्कार विजेताओं को धन्यवाद दिया और कहा कि यह आयोजन साहित्य और संस्कृति के माध्यम से सामाजिक चेतना को बढ़ावा देने का प्रयास है।

डॉ. वसी बेग “बिलाल” का सम्मान

डॉ. वसी बेग को यह सम्मान उनके साहित्यिक योगदान और युवाओं को प्रेरित करने वाले कार्यों के लिए दिया गया। डॉ. बेग का नाम इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और लंदन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल है, जो उनके वैश्विक स्तर पर पहचान का प्रमाण है।

पुरस्कार ग्रहण करते हुए डॉ. बेग ने इसे अपनी पत्नी अस्मा परवीन को समर्पित किया और कहा, “आज का दिन मेरे लिए बेहद खास है क्योंकि आज मेरी पत्नी का जन्मदिन है। यह पुरस्कार मेरे लिए एक अनमोल उपहार है, जिसे मैं अपनी पत्नी को समर्पित करता हूं।”

साहित्य और शायरी का संगम

कार्यक्रम में देशभर के मशहूर कवि और शायरों ने अपनी कविताओं और शायरी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ. वसी बेग ने भी अपनी रचनाओं से उपस्थित लोगों को प्रभावित किया। उनकी कविताओं में युवा पीढ़ी के विचार, समाज के प्रति जागरूकता, और उर्दू भाषा की खूबसूरती झलकती है।

अन्य प्रमुख कवियों में डॉ. कमाल, श्री फ़राज़ मुजीब, श्री जाहिद, श्री शाकिर, और श्री अतीक शामिल थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं से कार्यक्रम को और भी रंगीन बना दिया। श्रोताओं ने सभी कवियों की रचनाओं को सराहा और तालियों से उनका स्वागत किया।

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खादी और साहित्य का संबंध

खादी मंडल प्रदर्शनी न केवल भारतीय संस्कृति और खादी को बढ़ावा देने का माध्यम है, बल्कि यह साहित्य, कला, और समाज को एक साथ लाने का एक मंच भी है। इस कार्यक्रम में खादी की महत्ता पर प्रकाश डाला गया और साहित्य को एक माध्यम के रूप में प्रस्तुत किया गया, जो सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देता है।

भविष्य की दिशा

डॉ. वसी बेग ने कहा कि वह उर्दू साहित्य और शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने युवाओं से साहित्य, कला, और शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ाने का आह्वान किया। डॉ. बेग ने यह भी कहा कि साहित्यिक मंच केवल विचारों का आदान-प्रदान करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज के बदलाव का आधार भी है।

समारोह का समापन

कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों और कवियों को धन्यवाद देते हुए खादी मंडल प्रदर्शनी की अध्यक्ष सुश्री साजिदा बेगम ने कहा, “यह आयोजन साहित्य और खादी के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाने और सामाजिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। ऐसे कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित किए जाएंगे।”

निष्कर्ष

मंडल खादी प्रदर्शनी, अलीगढ़ में आयोजित यह सम्मान समारोह न केवल साहित्य और खादी की विरासत को समर्पित था, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बना। डॉ. वसी बेग “बिलाल” अलीग का सम्मान इस बात का प्रमाण है कि उर्दू साहित्य में उनके योगदान को न केवल स्थानीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जा रहा है।

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