“वाई के चौधरी की रिपोर्ट: दैनिक छटी आंख समाचार”
जामिया मिलिया इस्लामिया के नामी ऑडिटोरियम में आज एक महत्वपूर्ण और यादगार मीटिंग का आयोजन हुआ, जिसमें आईआईसीसी (इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर) के आगामी चुनावों के संदर्भ में चर्चाएं हुईं।
इस मीटिंग का मुख्य आकर्षण थे डॉ. माजिद ताली कोठी, जिनकी शख्सियत, विचारधारा और विजन ने वहां मौजूद सभी लोगों के दिलों में एक नई उम्मीद जगा दी।
डॉ. माजिद ताली कोठी न सिर्फ़ एक शिक्षाविद् हैं, बल्कि वे एक अद्वितीय समाज सेवक और चिंतक भी हैं। उनके व्यक्तित्व की खासियत यह है कि वे हमेशा अपनी सोच को साकार करने के लिए क्रियाशील रहते हैं। उनकी नज़र में समाज की तरक़्क़ी और उसके लोगों की खुशहाली से बढ़कर कोई और प्राथमिकता नहीं हो सकती।
शिक्षा और तालीम में अद्वितीय योगदान
डॉ. माजिद ताली कोठी ने शिक्षा के क्षेत्र में अपने अनूठे योगदान से न केवल जामिया मिलिया इस्लामिया बल्कि पूरे देश में एक मिसाल कायम की है। उन्होंने शिक्षा को सिर्फ़ किताबों और पाठ्यक्रमों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्होंने इसे समाज के हर तबके तक पहुँचाने का प्रयास किया। उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों की शुरुआत की, जो शिक्षा को हाशिए पर रहने वाले समुदायों तक पहुँचा सकें।
उनका मानना है कि तालीम ही वह चिराग है, जो समाज के अंधेरे को रौशन कर सकता है। उन्होंने अपने विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों और योजनाओं के माध्यम से यह सिद्ध किया है कि शिक्षा केवल एक अधिकार नहीं बल्कि एक आवश्यकता है, जो किसी भी समाज को विकास की राह पर अग्रसर कर सकती है।
आईआईसीसी के लिए डॉ. माजिद का विजन
आईआईसीसी के आगामी चुनावों में डॉ. माजिद ताली कोठी का पैनल एक विशेष वचन के साथ मैदान में उतरा है। उनका कहना है कि अगर उनके पैनल को जीत का मौका मिलता है, तो वे इंडिया इस्लामिक कल्चर के लिए वह काम करके दिखाएंगे जो आज तक किसी ने नहीं किया। यह बयान सिर्फ़ एक वादा नहीं बल्कि उनके आत्मविश्वास और संकल्प का प्रतीक है।
डॉ. माजिद का विजन केवल संस्थान के दायरे में सीमित नहीं है। वे चाहते हैं कि इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर को एक ऐसा मंच बनाया जाए, जो न केवल इस्लामी संस्कृति का संरक्षण और प्रचार-प्रसार करे, बल्कि इसे आधुनिकता के साथ जोड़कर भी प्रस्तुत करे। उनका उद्देश्य है कि यह केंद्र न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर एक उदाहरण बने।
समाज के प्रति समर्पण
डॉ. माजिद ताली कोठी के कार्य सिर्फ़ तालीम और कल्चर तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने समाज के हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है। उनकी नेतृत्व क्षमता का प्रमाण इस बात से मिलता है कि उन्होंने अपने विभिन्न सामाजिक परियोजनाओं के माध्यम से हजारों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है।
वे मानते हैं कि समाज की सच्ची सेवा सिर्फ़ शब्दों में नहीं बल्कि कार्यों में होनी चाहिए। यही कारण है कि उन्होंने न केवल विचार प्रस्तुत किए बल्कि उन्हें अमल में भी लाया। उनका यह कहना कि “हम इंडिया इस्लामिक कल्चर के लिए वह काम करके दिखाएंगे जो आज तक किसी ने नहीं किया”, उनके इसी जज्बे और समर्पण का प्रमाण है।
निष्कर्ष
डॉ. माजिद ताली कोठी की शख्सियत एक अनूठी मिसाल है, जो समाज, शिक्षा, और संस्कृति के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही है। आईआईसीसी के चुनावों में उनकी भागीदारी एक नए युग की शुरुआत का संकेत है। उनका विजन, उनकी सोच और उनका समर्पण यह दर्शाता है कि वे न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के लिए भी एक मार्गदर्शक के रूप में सामने आ रहे हैं।
अगर उनका पैनल चुनाव जीतता है, तो यह यकीनन एक नई दिशा और एक नई रोशनी का प्रतीक होगा, जो न केवल इंडिया इस्लामिक कल्चर के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन का कारण बनेगा।