बचपन से स्कूल टॉपर. बीई इलेक्ट्रोनिक्स, इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट. एक उम्दा पेंटिंग कलाकार. ये कुछ ऐसी खूबियां हैं, जो कश्मीर से निकली IPS बिस्मा काजी को दूसरों से अलग बनाती हैं. मौजूदा समय में बिस्मा की पहचान किसी शौहरत की मोहताज नहीं. लेकिन, कामयाबी के इस ऊंचे मुकाम तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं रहा.
मां ने सिविल सर्विसेज के प्रेरित किया
दरअसल, बिस्मा के पिता मोहम्मद शफी काजी एक छोटी सी दुकान चलाते हैं. उनके लिए बिस्मा को स्कूल भेजना आसान नहीं था. मगर उन्होंने कभी बेटा-बेटी जैसा कोई भेदभाव नहीं किया और बिस्मा को खूब बढ़ाया. NBT को दिए एक इंटव्यू में बिस्मा बताती हैं कि इंजीनियर बनकर प्राइवेट सेक्टर उन्हें अच्छी खासी नौकरी मिल सकती थी. मगर उनकी मां ने उन्हें सिविल सर्विसेज के प्रेरित किया.
मुश्किलों के सामने नहीं टेके घुटने
2015 में उन्होंने यूपीएससी के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दिया. इसके लिए वो परिवार को छोड़कर दिल्ली भी आई. मगर अधिक समय तक राजधानी में नहीं रहीं. उन्होंने घर लौटकर ही तैयारी करना उचित समझा. बिस्मा बताती हैं कि उनके एग्जाम के वक्त श्रीनगर में शट डाउन था. पापा जैसे-तैसे एग्जाम सेंटर तक पहुंचाने में सफल रहे.
लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं कश्मीर की बिस्मा!
अंतत: विपरीत हालातों को लांघते हुए वो पहले प्री, मैन्स, और फिर इंटरव्यू पास करने में कामयाब रहीं. कश्मीर की बिस्मा उन सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, जो मुश्किलों के सामने अपने घुटने टेंक देते हैं.