प्रतापगढ़। देश और प्रदेश में बलात्कारियों के हौसले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जो कि हमारे समाज के लिए एक बेहद गंभीर और चिंताजनक विषय है। हर रोज़ नित नए मामलों की खबरें सुनाई देती हैं,
जहां न सिर्फ इंसानियत शर्मसार हो रही है, बल्कि महिलाओं की अस्मिता को भी कुचला जा रहा है। इसे रोकने के लिए सख्त कानूनों के साथ-साथ समाज की जागरूकता और सक्रियता की भी अत्यधिक आवश्यकता है।
डॉ. एम. क्यू. मलिक, जो कि एक प्रसिद्ध समाजसेवी और मीडिया चेयरमैन हैं, ने कहा कि “बलात्कार की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए अब समय आ गया है कि समाज स्वयं अपनी जिम्मेदारी समझे और दुष्कर्मियों को उनके किए की सज़ा समाजिक रूप से दे।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि जिस तरह से बलात्कार के मामलों में निरंतर वृद्धि हो रही है, उसे रोकने के लिए सरकार को सख्त कानून बनाने के साथ-साथ समाज को भी आगे आना होगा।
समाज की भूमिका पर डॉ. मलिक के विचार
डॉ. मलिक ने कहा, “हमारे समाज में रिश्तों की पवित्रता का जो ह्रास हो रहा है, वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। मां, बहन, बेटी जैसे पवित्र रिश्तों को तार-तार करने वाले लोग हमारे ही बीच में छुपे हुए हैं।
यह बेहद शर्मनाक और निंदनीय है।” उन्होंने आगे कहा कि यह घिनौना अपराध सिर्फ पीड़िता के जीवन को नहीं, बल्कि पूरे समाज की नैतिकता को कलंकित करता है।
उन्होंने प्रतापगढ़ जिले में घटी एक हालिया घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि “बीती रात, प्रतापगढ़ के पट्टी कोतवाली क्षेत्र में एक व्यक्ति ने अपनी ही भतीजी के साथ दुष्कर्म किया।
यह घटना न सिर्फ हमारे समाज के नैतिक पतन को दर्शाती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं।” इस घटना में आरोपी ने आधी रात को अपनी भतीजी के कमरे में घुसकर उसके हाथ-पैर बांध दिए और मुंह में कपड़ा ठूंस कर अपनी हवस का शिकार बनाया।
कानून और न्याय की बात
डॉ. मलिक ने इस घटना पर दुख और आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, “इस तरह के जघन्य अपराधों के लिए कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
हालांकि, यह सच्चाई है कि न्याय की प्रक्रिया में देरी हमारे न्याय प्रणाली की एक बड़ी चुनौती है। कई बार पीड़िता और उसके परिवार को सालों तक न्याय के लिए इंतजार करना पड़ता है, जबकि दोषी खुला घूमता रहता है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि “अगर समाज इस तरह के अपराधियों का बहिष्कार करने का फैसला कर ले, तो क्या कोई भी व्यक्ति इस घिनौने कृत्य को अंजाम देने की हिम्मत करेगा?” डॉ. मालिक ने समाज से आह्वान किया कि वे ऐसे अपराधियों का सामाजिक बहिष्कार करें और उन्हें उनके कर्मों की सजा दें।
सामाजिक बहिष्कार: एक प्रभावी उपाय
डॉ. मलिक ने कहा, “सामाजिक बहिष्कार स्वयं में एक बहुत बड़ी सजा है। यदि समाज एकजुट होकर ऐसे अपराधियों का बहिष्कार करता है, तो उन्हें उनके किए की सजा मिलने में देर नहीं लगेगी।” उन्होंने सुझाव दिया कि समाज को छोटे स्तर से शुरू करके इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करना चाहिए और इसे एक देशव्यापी आंदोलन का रूप देना चाहिए।
समाज का दायित्व
डॉ. मलिक का मानना है कि बलात्कार जैसे घिनौने अपराधों को रोकने के लिए समाज को सशक्त और संगठित होना पड़ेगा। “यदि समाज ठान ले कि वह ऐसे अपराधियों को अपने से दूर रखेगा, तो इससे बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। सरकार और न्यायालय की सजा अपनी जगह है, लेकिन समाज की मार सब पर भारी होगी।”
इस संदर्भ में, उन्होंने यह भी कहा कि “सामाजिक बहिष्कार का असर सिर्फ अपराधियों पर ही नहीं, बल्कि पूरे समाज पर भी पड़ेगा। इससे समाज में एक मजबूत संदेश जाएगा कि हम ऐसे अपराधों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
निष्कर्ष
डॉ. एम. क्यू. मलिक के विचारों का सार यही है कि बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए कानून की सख्ती के साथ-साथ समाज की सक्रियता भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
समाज के सदस्यों को एकजुट होकर ऐसे अपराधियों के खिलाफ आवाज उठानी होगी और उन्हें उनके किए की सजा सामाजिक बहिष्कार के रूप में देनी होगी। यह कदम समाज को जागरूक और सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकने में सहायक सिद्ध होगा।