1971 के इतिहास का उल्लेख
कल्लू अंसारी ने अपने संबोधन में 1971 के बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उस समय पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में अत्याचारों की सारी हदें पार कर दी थीं। निर्दोष नागरिकों पर बर्बर हमले किए गए, हजारों लोगों को गोली मारी गई और बम से उड़ा दिया गया। लाखों लोगों को जिंदा जला दिया गया। इस नरसंहार के कारण 50 लाख से अधिक लोग शरणार्थी बनकर भारत आए।
उन्होंने कहा, “भारत ने बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाने में हर संभव सहायता की, लेकिन आज उसी देश में हिंदुओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं। यह न केवल निंदनीय है, बल्कि पूरी मानवता के लिए शर्मनाक भी है।”
“हिंदुओं को कमजोर न समझा जाए”
कल्लू अंसारी ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा, “हिंदुओं को कमजोर न समझा जाए। सूफी संत मलंग मुस्लिम राष्ट्रीय मंच पूरी तरह से उनके साथ खड़ा है। यह लड़ाई हिंदू या मुसलमान की नहीं है, बल्कि मानवता की है। भारत में रहने वाले मुसलमान भगवान राम और श्रीकृष्ण के वंशज हैं। अगर बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को परेशान किया जाएगा, तो गांधीवादी तरीके से नहीं, बल्कि गोडसे की तरह जवाब दिया जाएगा।”
कट्टरपंथियों को चेतावनी
उन्होंने आगे कहा, “हमें हिंदू-मुस्लिम से खतरा नहीं है, बल्कि कट्टरपंथियों से है। सभी को अपने-अपने धर्म का पालन करना चाहिए और एक-दूसरे के प्रति सहिष्णुता दिखानी चाहिए। इससे हिंसात्मक घटनाओं को रोका जा सकता है।”
महिला प्रकोष्ठ की भूमिका
महिला प्रकोष्ठ की संयोजक अंजुम अंसारी ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही घटनाएं मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपील की कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाएं।
प्रदर्शन में सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल
इस विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश सरकार के खिलाफ नारे लगाए और अंतरराष्ट्रीय मंचों से न्याय की मांग की। इस मौके पर मंच के कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
प्रदर्शन में शामिल प्रमुख लोगों में अल्तमश अंसारी, फुरकान कुरैशी, आबिद कुरैशी, अरशद अली, अशरफ अली, शानू कुरैशी, असरत उस्मानी, श्याम सिंह, रईस अहमद, महेंद्र सिंह, नावेद, नाजिम, सैफ अली, जाहिद सैफी, राशिद हुसैन आदि शामिल रहे। महिला कार्यकर्ताओं में बबीता अग्रवाल, कल्पना, अनुराधा, ज्योति सिंह, गायत्री वर्मा, सुहाना, आफरीन, लक्ष्मी, सानिया, सोनी, रेनू वर्मा, संजना, नेहा मिश्रा आदि ने भी अपनी भागीदारी दी।
मानवाधिकारों की रक्षा का संकल्प
प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लिया। प्रदर्शन का समापन इस आश्वासन के साथ हुआ कि सूफी संत मलंग मुस्लिम राष्ट्रीय मंच हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेगा।
निष्कर्ष
बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार मानवता के खिलाफ हैं। यह प्रदर्शन न केवल उनकी पीड़ा को सामने लाने का प्रयास था, बल्कि यह संदेश भी था कि किसी भी जाति, धर्म या समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचार को सहन नहीं किया जाएगा। भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता है।