अलीगढ़: एसीएन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट स्टडीज, अलीगढ़ के निदेशक और सनराइज यूनिवर्सिटी, अलवर, राजस्थान के विजिटिंग प्रोफेसर, डॉ. मोहम्मद वसी बेग ने हाल ही में विश्वविद्यालय में नए नामांकित पीएचडी विद्वानों के लिए ‘रिसर्च पद्धति’ पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया। इस अवसर पर उन्होंने अनुसंधान की पद्धति, उसके उद्देश्य, महत्व, और विभिन्न प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जिससे विद्वान अपने शोध कार्य को व्यवस्थित और प्रभावी ढंग से अंजाम दे सकें।
व्याख्यान का उद्देश्य और विषय वस्तु
डॉ. मोहम्मद वसी बेग ने अपने व्याख्यान की शुरुआत इस बात से की कि रिसर्च पद्धति क्या है और यह अनुसंधान कार्य में क्यों महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें विषय का गहन अध्ययन और निष्कर्षों का सही विश्लेषण अत्यंत आवश्यक है। रिसर्च पद्धति अनुसंधान कार्य को एक दिशा देने और उसे वैज्ञानिक ढंग से अंजाम देने का साधन है।
डॉ. बेग ने समझाया कि रिसर्च पद्धति केवल एक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक सोचने की प्रक्रिया है जो शोधकर्ता को अपने अध्ययन के लिए सबसे उपयुक्त विधियों को चुनने और उनका सही उपयोग करने की समझ देती है। यह पद्धति शोध कार्य की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को बनाए रखने में मदद करती है, जिससे शोध के परिणाम अधिक सटीक और उद्देश्यपूर्ण होते हैं।
महत्व और उद्देश्य की स्पष्टता
डॉ. बेग ने अपने व्याख्यान में यह भी रेखांकित किया कि अनुसंधान पद्धति के महत्व को समझना क्यों आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक अनुसंधान का एक स्पष्ट उद्देश्य होना चाहिए, जो शोधकर्ता को उसकी दिशा निर्धारित करने में मदद करता है। उद्देश्य की स्पष्टता न केवल शोध की दिशा तय करती है, बल्कि उसके परिणामों की प्रासंगिकता और महत्व को भी सुनिश्चित करती है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार सही अनुसंधान पद्धति का चयन शोध के परिणामों को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। साथ ही, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शोध के दौरान डेटा संग्रह की विधियां और उनका सही उपयोग भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। डॉ. बेग ने अनुसंधान के विभिन्न चरणों जैसे डेटा संग्रह, साहित्य समीक्षा, और थीसिस लेखन पर विशेष रूप से प्रकाश डाला।
डाटा संग्रह और साहित्य समीक्षा का महत्व
व्याख्यान के दौरान डॉ. बेग ने अनुसंधान में डेटा संग्रह के महत्व पर भी गहराई से चर्चा की। उन्होंने कहा कि डेटा संग्रह अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण चरण है, और इसके लिए सही तकनीकों का चयन अत्यंत आवश्यक है। सही डेटा संग्रहण पद्धति से ही शोध के निष्कर्षों की सटीकता सुनिश्चित होती है। उन्होंने डेटा की विश्वसनीयता और उसकी सत्यता की जाँच के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया।
इसके अतिरिक्त, डॉ. बेग ने साहित्य समीक्षा के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि साहित्य समीक्षा न केवल विषय के गहन अध्ययन में सहायक होती है, बल्कि यह शोधकर्ता को नए दृष्टिकोण और विचारों से भी अवगत कराती है। सही और व्यापक साहित्य समीक्षा से शोध कार्य की गहराई और विस्तार में वृद्धि होती है, जिससे निष्कर्ष अधिक सटीक और विचारोत्तेजक होते हैं।
थीसिस लेखन की बारीकियाँ
डॉ. बेग ने थीसिस लेखन के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि थीसिस लेखन केवल अनुसंधान के परिणामों का संकलन नहीं है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक दस्तावेज है, जिसमें शोधकर्ता के अध्ययन, उसके निष्कर्ष, और उनके महत्व को व्यवस्थित और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जाता है। थीसिस लेखन की प्रक्रिया में भाषा की स्पष्टता, तथ्यों की सटीकता, और निष्कर्षों की तर्कसंगतता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि थीसिस का निष्कर्ष उसके पूरे शोध कार्य का सार होता है, और इसे अत्यंत सावधानीपूर्वक और तर्कसंगत ढंग से प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
सक्रिय सहभागिता और प्रश्नोत्तर सत्र
डॉ. बेग के व्याख्यान के दौरान उपस्थित 75 से अधिक शोध विद्वानों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और विभिन्न प्रश्न पूछे। सत्र के अंत में एक स्वस्थ प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया, जिसमें विद्वानों ने अपने संदेह और प्रश्न प्रस्तुत किए, जिनका डॉ. बेग ने विस्तार से उत्तर दिया।
यह सत्र अत्यंत शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक रहा, जिसमें न केवल अनुसंधान पद्धति के तकनीकी पहलुओं पर चर्चा हुई, बल्कि इसके साथ ही विद्वानों को अपने शोध कार्य में गुणवत्ता और नवीनता लाने की दिशा में प्रेरित भी किया गया।
प्रबंधन का आभार
सत्र के अंत में, डॉ. मोहम्मद वसी बेग ने मीलेश जैन मैडम, निदेशक अनुसंधान और पूरे प्रबंधन को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के व्याख्यान न केवल विद्वानों को उनके शोध कार्य में मदद करते हैं, बल्कि उन्हें अनुसंधान के क्षेत्र में नए दृष्टिकोण और विचारों से भी अवगत कराते हैं।
इस व्याख्यान ने नए नामांकित पीएचडी विद्वानों को अनुसंधान के क्षेत्र में एक मजबूत आधारशिला प्रदान की और उन्हें उनके शोध कार्य में गुणवत्ता और दिशा बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। डॉ. बेग के इस महत्वपूर्ण व्याख्यान ने विद्वानों के लिए अनुसंधान पद्धति के महत्व को और भी अधिक स्पष्ट और प्रभावी बना दिया।
प्रधान संपादक: वाई. के. चौधरी, दैनिक छठी आंख समाचार