इस अवसर पर मस्जिद के प्रमुख शिक्षक मौलाना अब्दुल सलाम मजहरी, जिन्होंने मोहम्मद शोएब को मार्गदर्शन प्रदान किया, ने कहा, “मोहम्मद शोएब एक अत्यंत मेहनती, समर्पित और अनुशासित छात्र रहे हैं। उनकी इस उपलब्धि से न केवल उनका परिवार बल्कि पूरा समुदाय गौरवान्वित हुआ है।”
हाफिजा की महत्वता और मेहनत
हाफिज-ए-कुरान बनने के लिए एक व्यक्ति को कुरान की 30 पाराओं को पूरी तरह से याद करना होता है, जोकि एक गहन और समर्पित प्रक्रिया है। यह न केवल स्मरण शक्ति बल्कि अनुशासन और धार्मिक श्रद्धा का भी परिचायक है। मौलाना अब्दुल सलाम मजहरी ने कहा, “कुरान को याद करना अल्लाह की विशेष रहमत है, और मोहम्मद शोएब ने यह मुकाम अपनी अथक मेहनत से पाया है।”
समारोह में विशिष्ट अतिथियों की भागीदारी
मस्जिद उस्मानिया में आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न समाजसेवी और शैक्षिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की। “द एलिग्स फाउंडेशन” की अध्यक्ष असमा परवीन ने कहा, “मोहम्मद शोएब की यह उपलब्धि आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है। यह हमें दिखाता है कि मेहनत और लगन से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।”
इस मौके पर फाउंडेशन के प्रबंध सचिव डॉ. एम. वसी बेग, वी.पी. वाई.के. चौधरी, और वीपी रेयाज़ अहमद ने भी अपनी शुभकामनाएं प्रकट कीं। उन्होंने मोहम्मद शोएब के शिक्षकों और माता-पिता को इस कामयाबी के लिए बधाई दी। डॉ. एम. वसी बेग ने कहा, “मोहम्मद शोएब ने न केवल अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है, बल्कि अलीगढ़ के पूरे मुस्लिम समुदाय का सिर गर्व से ऊंचा किया है।”
कार्यक्रम में मिर्जा रऊफ बेग ने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान युग में बच्चों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा से भी अवगत कराना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास होना चाहिए कि हमारे बच्चे कुरान के ज्ञान के साथ-साथ विज्ञान, गणित, और अन्य आधुनिक विषयों में भी पारंगत हों। यह हमारे समाज को आगे बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी है।”
माता-पिता की खुशी
मोहम्मद शोएब की इस उपलब्धि से उनके माता-पिता बेहद खुश और गर्वित हैं। उनके पिता मोहम्मद शाजाद ने कहा, “यह हमारे लिए बहुत बड़ी खुशी का दिन है। हमारे बेटे ने जो मेहनत की है, वह सबके सामने है। हम अल्लाह का शुक्रगुजार हैं और उम्मीद करते हैं कि वह इसी तरह जीवन में आगे बढ़ता रहे।”
सामुदायिक प्रेरणा
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी मौजूद रहे, जिन्होंने मोहम्मद शोएब को बधाई दी और उनकी उपलब्धि को प्रेरणास्त्रोत बताया। मौलाना अब्दुल सलाम ने इस मौके पर कुरान की तालीम की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हर मुस्लिम को अपने बच्चों को कुरान पढ़ने और समझने की शिक्षा देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह केवल धार्मिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने का जरिया भी है।
मोहम्मद शोएब के लिए शुभकामनाएं
कार्यक्रम के अंत में मोहम्मद शोएब को प्रशस्ति पत्र और सम्मान चिन्ह प्रदान किया गया। अतिथियों ने उनकी मेहनत और समर्पण की सराहना की और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
यह कार्यक्रम न केवल मोहम्मद शोएब के लिए बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक प्रेरणादायक घटना बन गया। यह दिखाता है कि समर्पण, मेहनत और सही मार्गदर्शन से किसी भी ऊंचाई को छुआ जा सकता है।
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