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ईवीएम और वीवीपीएटी पर नया खुलासा: लोकतंत्र पर सवाल?

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नई दिल्ली: The Quint की एक रिपोर्ट ने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और वीवीपीएटी (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) की सुरक्षा और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL), जो चुनाव आयोग के लिए ईवीएम का निर्माण करती है, ने इन मशीनों के संचालन और रखरखाव के लिए ठेके पर इंजीनियरों को नियुक्त किया। इन इंजीनियरों ने आरोप लगाया कि उनके पक्के कर्मचारी होने का दिखावा करने का दबाव डाला गया और उन्हें मशीनों में हेरफेर करने की क्षमता भी दी गई थी।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  1. ठेके पर नियुक्ति और सुरक्षा जोखिम:

रिपोर्ट के अनुसार, ECIL ने EVM निर्माण और रखरखाव के लिए ठेके पर इंजीनियरों को काम पर रखा। इन इंजीनियरों ने स्वीकार किया कि वे न केवल मशीनों का निर्माण कर सकते हैं बल्कि उनमें हेरफेर भी कर सकते हैं।

सिंबल लोडिंग यूनिट (SLU) के जरिए EVM में छेड़छाड़ की संभावना को लेकर चिंता जताई गई है। SLU का उपयोग उम्मीदवारों के चुनाव चिह्न लोड करने के लिए किया जाता है, जो चुनाव प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

2. गोपनीयता का उल्लंघन:

ECIL और चुनाव आयोग ने हमेशा दावा किया कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित और छेड़छाड़ से मुक्त हैं। हालांकि, The Quint की रिपोर्ट ने इन दावों को चुनौती दी है।

RTI जवाबों के अनुसार, चुनाव प्रक्रिया में शामिल ईवीएम इंजीनियरों में से 99% निजी ठेकेदारों के अधीन थे।

3.  विधान और वास्तविकता में अंतर:

चुनाव आयोग का दावा है कि EVMs और VVPATs की हैंडलिंग केवल सरकारी कर्मचारियों द्वारा की जाती है। लेकिन, रिपोर्ट के अनुसार, 2019 के चुनावों के दौरान ECIL ने मुंबई स्थित एक निजी कंपनी T&M Services Consulting Pvt. Ltd. को इंजीनियर प्रदान करने के लिए ठेका दिया था। यह कंपनी ECIL की स्वीकृत वेंडर लिस्ट में शामिल नहीं थी।

4. हैकिंग और सुरक्षा की चिंता:

विशेषज्ञों का मानना है कि EVMs में उपयोग की गई मेमोरी चिप्स को रीप्रोग्राम किया जा सकता है, जो चुनाव आयोग के दावों को खारिज करता है।

यह रिपोर्ट भारतीय चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

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क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी ने इस रिपोर्ट को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए “खतरे की घंटी” बताया। उनका कहना है कि चुनाव आयोग को पारदर्शिता बढ़ाने और स्वतंत्र जांच सुनिश्चित करनी चाहिए।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का सुझाव है कि ईवीएम और वीवीपीएटी पर स्वतंत्र थर्ड-पार्टी ऑडिट जरूरी है ताकि चुनाव प्रक्रिया की सुरक्षा की पुष्टि हो सके।

चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया:

चुनाव आयोग ने रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि ईवीएम छेड़छाड़ से मुक्त हैं और उनके संचालन में पारदर्शिता बरती जाती है। हालांकि, अब तक आयोग ने रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का सीधा जवाब नहीं दिया है।

लोकतंत्र पर संभावित प्रभाव:

यदि यह आरोप सत्य साबित होते हैं, तो यह भारत की चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गहरा असर डाल सकते हैं।

जनता के बीच चुनाव आयोग और चुनावी प्रक्रियाओं पर विश्वास कम हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायिक संस्थानों को इस मामले में संज्ञान लेने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

The Quint की रिपोर्ट ने भारतीय चुनाव प्रणाली में संभावित खामियों को उजागर किया है। चुनाव आयोग को इस मामले की जांच कर जनता को विश्वास दिलाना चाहिए कि ईवीएम और वीवीपीएटी सुरक्षित और निष्पक्ष हैं।

विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें।

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