सऊदी अरब में सोशल मीडिया का गलत तरीके से इस्तेमाल करने को लेकर सऊदी प्रॉसेक्यूटर एक मौलवी के खिलाफ मौत की सजा का मांग कर रहे हैं.आरोप है कि मौलवी सरकार विरोधी चीजें ट्विटर अकाउंट के जरिये फैला रहे थे जिसके बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.
65 वर्षीय मौलवी का नाम अवद अल-क़रनी है, जिन्हें 2017 में मोहम्मद बिन सलमान के सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस बनने के तीन महीने बाद सितंबर 2017 में गिरफ्तार किया गया था, इनके साथ करीब दर्जन भर ऐसे लोगों को हिरासत में लिया गया था. प्रॉसेक्यूटर्स ने मौलवी पर सरकार विरोधी साजिश रचने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही उनका आरोप है कि मौलवी के सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार फ़ैलाने के कारण अशांति फ़ैल सकती है. बताया जा रहा है सोशल मीडिया पर मौलवी की ठीक ठाक रीच है.
मौलवी पर लगे हैं ये आरोप
अदालत के समक्ष पेश किये गए दस्तावेजों में कहा गया है कि मौलवी आये दिन सरकार विरोधी ट्वीट करते हैं. दस्तावेजों में आपत्तिजनक पोस्ट के नाम पर सऊदी न्यायिक फैसलों की आलोचना शामिल है. इसके साथ ही मौलवी पर जो गंभीर आरोप लगे हैं उनमें सोशल मीडिया पोस्ट देश का माहौल खराब करना, समाज को भड़काना, अशांति फैलाना और दुश्मन देश (कतर) के लिए सहानुभूति दिखाना है. इन सभी वजहों को लेकर सऊदी प्रॉसेक्यूटर मौलवी के खिलाफ सजा-ए-मौत की मांग कर रहा है.
बेटा भाग चुका है यूके
इससे पहले अवद अल-क़रनी के बेटे नासिर ने प्रॉसेक्यूशन की फाइलिंग को शेयर करते हुए आलोचना की है. नासेर फिलहाल सऊदी अरब से भाग कर यूके में रह रहे हैं. उनके इस खुलासे के बाद कई मानवाधिकार वकील और निर्वासन में रह रहे सऊदी अरब सरकार के अन्य विरोधी सामने आए हैं. उनका कहना है कि सऊदी अरब साम्राज्य में अधिकारी सरकार की आलोचना करने वालों पर लगातार सख्त कार्रवाई कर रहे हैं.