अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के मनोविज्ञान विभाग द्वारा 9 और 10 अक्टूबर, 2024 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में एक सफल दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का मुख्य विषय “मानसिक स्वास्थ्य का संवर्धन: रोकथाम, हस्तक्षेप और वकालत” था। इस कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक विज्ञान संकाय के कॉन्फ्रेंस हॉल में किया गया, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी उभरती चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया गया और मानसिक स्वस्थता को बढ़ावा देने के लिए नवीन रणनीतियों पर चर्चा हुई।
कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र कुरान की तिलावत से हुई, जिसे स्नातक छात्र श्री तारीख ने प्रस्तुत किया और उसके अर्थ को विस्तारपूर्वक श्रोताओं के सामने रखा। इसके बाद गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पर एक पुस्तिका का विमोचन हुआ। मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. शाह आलम ने स्वागत भाषण देते हुए वैश्विक विषय “कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना” पर प्रकाश डाला और पेशेवर माहौल में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के बढ़ते मामलों और उससे जुड़ी कुछ संक्षिप्त सांख्यिकी साझा की। उनके संबोधन में सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के उपाय जैसे कि सकारात्मक संबंध, आत्म-जागरूकता, लक्ष्य निर्धारण, समय प्रबंधन, आत्म-नियंत्रण, स्वस्थ आदतें, और धार्मिक या आध्यात्मिक अभ्यास को जीवन में शामिल करने की बातें बताई गईं।
समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. शफी किदवई, डीन, सामाजिक विज्ञान संकाय, ने डिजिटल तकनीक के अमानवीय प्रभावों और विशेषकर साइबरबुलिंग पर चर्चा की।
मुख्य भाषण प्रो. मेहराज उद्दीन मीर, पूर्व कुलपति, केंद्रीय विश्वविद्यालय कश्मीर, और के.आर. मंगलम विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के चेयर प्रोफेसर ने दिया। उन्होंने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की आपसी निर्भरता पर जोर दिया और मानव जीवन की मौलिक आवश्यकताओं को भौतिक, सामाजिक, मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समझाया। उन्होंने ‘PEACE’ (Pressure, Emptiness, Anxiety, Curiosity, Escapism) शब्द के माध्यम से कार्यस्थल पर बढ़ते आत्महत्या के मामलों पर विचार किया।
इसके पश्चात छात्रों के परामर्श केंद्र की समन्वयक प्रो. रूमाना एन. सिद्दीकी ने दैनिक जीवन में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया।
समारोह का समापन छात्रा कशिश द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इसके बाद विश्वविद्यालय तराना और राष्ट्रीय गान प्रस्तुत किया गया।
प्रथम सत्र के बाद चार तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ, जिनका संचालन प्रो. रूमाना एन. सिद्दीकी, डॉ. नशीद इम्तियाज, डॉ. रेशमा जमाल, और डॉ. सलमा कनीज़ ने किया। सह-अध्यक्ष के रूप में डॉ. महविश फातिमा, डॉ. आसिफ हसन, डॉ. सारा जावेद, और डॉ. हीना परवीन ने योगदान दिया। कुल 66 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न उप-विषयों पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम का समापन वैलिडिक्टरी फंक्शन के साथ हुआ, जिसमें संगोष्ठी की वैज्ञानिक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई और सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र प्रस्तुतियों के लिए पुरस्कार वितरित किए गए। इसके अलावा 10 सितंबर 2024 को आयोजित आत्महत्या रोकथाम दिवस पर हुई पोस्टर प्रतियोगिता के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री सदफ सुहैल और सुश्री शफक उस्मानी ने किया। अंत में छात्रा इल्मा फातिमा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन, विश्वविद्यालय तराना और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
10 अक्टूबर, 2024 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर मनोविज्ञान विभाग ने कई महत्वपूर्ण गतिविधियों का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में छात्रों द्वारा लगाए गए इंटरएक्टिव स्टॉल और गतिविधियों के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य, निवारण और समग्र स्वास्थ्य पर जागरूकता फैलाई गई।
साथ ही प्रो. शाह आलम द्वारा विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गई।
इस अवसर पर डॉ. आयशा खान (गेस्ट फैकल्टी) और श्री तलहा अहमद (शोध छात्र) द्वारा “पुरुषों का मानसिक स्वास्थ्य: एक महत्वपूर्ण परीक्षण” विषय पर व्याख्यान दिया गया। वक्ताओं ने मानसिक स्वास्थ्य के समावेशी उपचार पर जोर दिया, जो विभाग की मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने और व्यापक दृष्टिकोण से इसकी वकालत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।