दैनिक छठी आंख समाचार
मुख्य संपादक वाई के चौधरी
देश आज ऐसे दौर से गुजर रहा है, जहां असली मुद्दों को हाशिये पर डालकर धार्मिक विवादों और विभाजनकारी राजनीति को प्राथमिकता दी जा रही है। बेरोजगारी, महंगाई, और गिरती अर्थव्यवस्था जैसे गंभीर विषयों से जनता का ध्यान हटाकर अजमेर शरीफ, ज्ञानवापी जैसे धार्मिक विवादों को हवा दी जा रही है।
बेरोजगारी और महंगाई का दंश
देश में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। GDP की गिरावट और निर्माण क्षेत्र में आई मंदी से युवाओं के सपने चूर-चूर हो रहे हैं। महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। पेट्रोल, डीजल, और राशन के दाम आसमान छू रहे हैं। बावजूद इसके, सरकार इन मुद्दों पर मौन है। सवाल यह उठता है कि रोजगार और विकास पर चर्चा करने के बजाय, धार्मिक स्थलों के मुद्दों को क्यों उठाया जा रहा है?
धार्मिक स्थलों पर विवाद और न्यायपालिका की भूमिका
ज्ञानवापी, अजमेर शरीफ और अन्य धार्मिक स्थलों पर विवाद ने देश की एकता को चुनौती दी है। जबकि Places of Worship Act, 1991 स्पष्ट रूप से कहता है कि 15 अगस्त 1947 की स्थिति को यथावत रखा जाए, फिर भी बार-बार इन मुद्दों को उठाना न्याय व्यवस्था को भी कठघरे में खड़ा करता है। Sambhal Shahi Jama Masjid मामले में भी सवाल उठते हैं कि क्या न्यायपालिका निष्पक्ष रूप से काम कर रही है या राजनीतिक दबाव में है।
समाज में धार्मिक असहिष्णुता का जहर
धार्मिक असहिष्णुता बढ़ाने के लिए एक सोची-समझी साजिश चल रही है। मस्जिदों के बाहर अपमानजनक गाने बजाना और हिंसा भड़काना न केवल एक धर्म का अपमान है, बल्कि पूरे समाज को अस्थिर करने का प्रयास है। यह समाज की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना को कमजोर करता है।
अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं का दुरुपयोग
बांग्लादेश या अन्य देशों में होने वाली घटनाओं को भारतीय समाज में नफरत फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सवाल यह है कि जब विदेशों में हिंदुओं पर अत्याचार होता है, तो इन तथाकथित धर्म रक्षकों की आवाज क्यों नहीं उठती?
समाज के लिए सुझाव और अपील
1. जागरूक बनें: जनता को समझना होगा कि असली मुद्दे क्या हैं और किस तरह उनका ध्यान भटकाया जा रहा है।
2. सवाल पूछें: रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, और विकास जैसे विषयों पर सरकार से जवाबदेही मांगे।
3. धार्मिक एकता को बढ़ावा दें: समाज में सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी विश्वास को मजबूत करना जरूरी है।
4. न्याय की मांग करें: न्यायपालिका से निष्पक्षता की उम्मीद रखें और कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करें।
देश को एकजुट रखने और असली मुद्दों पर चर्चा करने के लिए जनता को सतर्क रहना होगा। यह समय है कि धार्मिक और राजनीतिक चालों को समझा जाए और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई जाए।
“बदलाव लाने के लिए समाज को जागरूक करना सबसे बड़ा हथियार है।”